ISHAN MISHRA

The Inspiring Story of Marvan Attapattu Srilankan Cricketer

An amazing story on Marvan Attapattu Srilankan Cricketer    Marvan Atapatu Inspiring Life Story
It’s a story that Harsha Bhogle, India’s most loved cricket commentator, loves to tell, over and over again. Making his debut in Test cricket for Sri Lanka, Marvan scored a duck in his first innings. And again, in his second innings.
They dropped him. So he went back to the nets for more practice. More first-class cricket. More runs. Waiting for that elusive call. And after twenty-one months, he got a second chance.

This time, he tried harder. His scores: 0 in the first innings, 1 in the second Dropped again, he went back to the grind. And scored tonnes of runs in first-class cricket. Runs that seemed inadequate to erase the painful memories of the Test failures. Well, seventeen months later, opportunity knocked yet again. Marvan got to bat in both innings of the Test. His scores: 0 and 0. Phew!
Back to the grind. Would the selectors ever give him another chance? They said he lacked big-match temperament. His technique wasn’t good enough at the highest level. Undaunted, Marvan kept trying.
Three years later, he got another chance. This time, he made runs. He came good. And in an illustrious career thereafter, Marvan went on to score over 5000 runs for Sri Lanka. That included sixteen centuries and six double hundreds. And he went on to captain his country. All this despite taking over six years to score his second run in Test cricket. Wow! What a guy!

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How many of us can handle failure as well as he did? Six years of trying, and failing. He must have been tempted to pursue another career. Change his sport perhaps. Play county cricket. Or, oh well, just give up. But he didn’t. And that made the difference.

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We all hear stories of talented people who gave up before their potential was realized. People who changed jobs and careers when success seemed elusive.
The next time you are staring at possible failure or rejection, think of Marvan. And remember this: If you don’t give up, if you believe in yourself, if you stay the course, the run will eventually come. What more you could even become captain some day.

NEVER GIVE UP. NEVER, NEVER GIVE UP !

 

 

The Inspiring Story of Marvan Attapattu
The Inspiring Story of Marvan Attapattu

 

 

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अक्सर ऐसा होता है कि लाइफ में ऐसे मौके आते हैं जहां आप चीज़ों को छोड़ के जाना चाहते हो. जहां ऐसा लगने लगता है कि ‘अब बस, बहुत हो गया. मैं और झेल नहीं सकता.’ ऐसे मौकों से पार पाना बहुत ही ज़रूरी है. ऐसे मोमेंट्स की याद करते हुए हर्षा भोगले एक कहानी बताते हैं जो बहुत ही इंस्पायर करती है. कहानी है एक क्रिकेटर की. श्री लन्का का क्रिकेटर. मर्वन अटापट्टू. दायें हाथ का बैट्समैन. एक बार आ जाता था तो आउट ही नहीं होता था. चौव्वे छक्के से ज़्यादा सिंगल डबल का गेम खेलता था.

अटापट्टू ने अपने पहले टेस्ट मैच की पहली इनिंग्स में एक भी रन नहीं बनाया. दूसरी इनिंग्स में भी वो डक पे आउट हुए. श्री लंका के सेलेक्टर्स ने उन्हें अगले मैच के लिए नहीं चुना. अटापट्टू टीम से निकले और नेट्स में घुस गए. दिन-रात सिर्फ प्रैक्टिस, प्रैक्टिस और प्रैक्टिस. फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेल रहे थे. रन बना रहे थे. और उसके अलावा प्रैक्टिस कर रहे थे.

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21 महीनों यानी पौने दो सालों बाद उन्हें दोबारा टीम से खेलने के लिए बुलाया गया. इस बार उनका परफॉरमेंस बेहतर. पहली इनिंग्स में ज़ीरो लेकिन अगली इनिंग्स में 1 रन. फिर से उन्हें टीम से निकाल दिया गया. अटापट्टू एक बार फिर से नेट्स में. पसीना बहाते हुए. फर्स्ट क्लास में रन बनाते हुए. ताबड़तोड़. लेकिन वो सभी रन टेस्ट मैचों में इनकी असफ़लता को भुलाने के लिए नाकाफ़ी थे.

सत्रह महीनों बाद उन्हें फिर से बुलाया गया. उनके फर्स्ट क्लास में बनाये स्कोर की बदौलत. दोनों इनिंग्स में फिर से बैटिंग मिली. और एक बार फिर दोनों इनिंग्स में स्कोर ज़ीरो.

अटापट्टू का कैरियर ख़त्म मन जा रहा था. दुनिया के सबसे बड़े लेवल पर वो बारम्बार फ़ेल हो रहे थे. जबकि फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने धान बोया हुआ था. कहा जा रहा था कि उनमें वो बात नहीं है जो बड़े लेवल पर उन्हें स्टार प्लेयर बना सके. लेकिन अटापट्टू खिलाड़ी थे. उन्हें ये मालूम था कि बुरा वक़्त सिर्फ कुछ वक़्त को ही रहता है. अच्छे वक़्त को झख मारके आना ही पड़ता है. शर्त बस ये है कि अप अपने काम को बाकायदे निपटाते रहें. अटापट्टू ने वही किया. फिर से नेट्स में. पसीना बहाते हुए. देह को आराम न देने की कसम उठाते हुए.

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तीन साल बाद उन्हें फिर से टीम में वापस बुलाया गया. इस बार रन बने. और क्या रन बने भाईसाब! वहां से शुरू हुई अटापट्टू की अटापट्टू बनने की कहानी. वो कहानी जिसकी वजह से हम और आप यहां इकट्ठे हो उनके बारे में बात कर रहे हैं.  5000 के ऊपर टेस्ट रन. 6 बार डबल सेंचुरी. वन-डे में साढ़े आठ हज़ार रन. अपने देश की टीम के कप्तान. और रिटायर होने के बाद श्री लंका के कोच.

6 साल में अपने कैरियर का दूसरा रन बनाने वाले अटापट्टू “Don’t give up” की नसीहत को सचमुच चरितार्थ करते हैं.

अटापट्टू की पहली 10 टेस्ट पारियां

  1. 0 रन बनाम भारत 1990 चंडीगढ़ टेस्ट पहली पारी
  2. 0 रन बनाम भारत 1990 चंडीगढ़ टेस्ट दूसरी पारी
  3. 0 रन बनाम ऑस्ट्रेलिया 1992 कोलंबो टेस्ट पहली पारी
  4. 1 रन बनाम ऑस्ट्रेलिया 1992 कोलंबो टेस्ट दूसरी पारी
  5. 0 रन बनाम भारत 1993 अहमदाबाद टेस्ट पहली पारी
  6. 0 रन बनाम भारत 1993 अहमदाबाद टेस्ट दूसरी पारी
  7. 25 रन बनाम न्यूजीलैंड 1996 डरबन टेस्ट पहली पारी
  8. 22 रन बनाम न्यूजीलैंड 1996 डरबन टेस्ट दूसरी पारी
  9. 0 रन बनाम पाकिस्तान 1996 कोलंबो टेस्ट पहली पारी
  10. 25 रन बनाम पाकिस्तान 1996 कोलंबो टेस्ट पहली पारी

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